" चौपाल भारती में आपका स्वागत है" ..... जल है तो कल है "....." नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब " ..... - अशोक बजाज
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मंगलवार, 1 अक्तूबर 2024

सेवा पखवाड़ा में सार्थक हो रहा प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान


सेवा पखवाड़ा पर विशेष आलेख

भारत में 1 लाख 71 हजार से अधिक निक्षय मित्र 20 लाख से अधिक टीबी रोगियों के मददगार बने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चल रहे सेवा पखवाड़ा के तहत स्वच्छता, सफाई, रक्तदान एवं निशुल्क स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से देश भर में सेवा कार्य में लोग तल्लीन है. सेवा पखवाड़ा में नगर, गांव, गली, मोहल्लों, मजरों, चौपालों समेत सार्वजनिक व धार्मिक स्थानों पर सेवा कार्य के साथ साथ "प्रधानमंत्री टी. बी. मुक्त भारत अभियान" के अंतर्गत निक्षय मित्र योजना को भी अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है. इन दिनों काफी संख्या में लोग निक्षय मित्र बनकर टी.बी. मरीजों की भौतिक रूप से मदद कर रहें हैं. हम यह जानते हैं कि दुनिया में सबसे ज़्यादा टीबी यानी तपेदिक के मरीज़ भारत में हैं. दुनिया भर में प्रति वर्ष एक करोड़ से ज्यादा लोग टीबी की चपेट में आते है इनमें से एक चौथाई से ज्यादा भारतीय है. अमूमन हर साल भारत में 26 लाख लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं तथा लगभग 4 लाख लोग इस बीमारी से मरते हैं. टीबी के मरीजों के समक्ष उपचार के दौरान होने वाले खर्च के अलावा पौष्टिक आहार की भी आवश्यकता होती है. सबसे ज्यादा समस्या आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तिओं को होती है क्योंकि काम करने में सक्षम ना होने के कारण उन्हें दो जून की रोटी भी नसीब नहीं होती. ऐसे में उनके समक्ष उपचार और जीवन यापन एक चुनौती बन जाती है.

टीबी को लेकर विश्व के तमाम देश चिंतित है, इसीलिये सन 2030 तक विश्व को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. इससे एक कदम आगे बढ़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक लक्ष्य से 5 साल पहले यानी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस कठिन लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार के साथ साथ समाज की भागीदारी आवश्यक है. प्रधानमंत्री ने जन जन को इस अभियान से जोड़ने के लिए सन 2022 में "निक्षय मित्र योजना" की शुरुवात की है. ‘निक्षय मित्र योजना' के तहत कोई भी व्यक्ति, समूह या संस्थायें मरीजों को पोषण, उपचार व आजीविका में मददगार बनकर प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान में अपना योगदान दे सकते हैं. यह पूर्णतः स्वेच्छिक योजना है, जिसके तहत व्यक्ति या संस्था द्वारा एक मरीज के लिए प्रतिमाह 500 रुपये का योगदान देना होता है. इस राशि से विभाग द्वारा मरीजों के उपचार के दौरान अस्पताल अथवा घर पहुंचा कर पोषण आहार की टोकरियाँ प्रदान की जाती है. कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था कम से कम 6 माह तथा अधिकतम 3 साल के लिए एक अथवा एक से अधिक मरीजों को सहयोग प्रदान कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें स्वास्थ विभाग से पंजीयन कराना होता है, ऑनलाइन पंजीयन की भी व्यवस्था है.

योजना प्रारंभ होने के बाद विगत दो वर्षों के भीतर भारत में अब तक 1 लाख 71 हजार से अधिक निक्षय मित्रों का पंजीयन हो चुका है. इनके योगदान से 20 लाख से अधिक टीबी रोगियों को 20 लाख से अधिक पोषण आहार की टोकरियाँ प्रदान की जा रही है. जहाँ तक छत्तीसगढ़ का सवाल है यहाँ लगभग 9000 लोगों ने निक्षय मित्र के रूप में पंजीयन करा लिया है इनमें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं छग के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल भी शामिल हैं. छत्तीसगढ़ में एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में लगभग 23000 टीबी रोगी हैं उनमें से 13646 रोगियों को पोषण आहार का पैकेट प्रति माह प्रदान किया जा रहा है. इसके अलावा राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन योजना के तहत सभी रोगियों को टीबी रोधी दवाओं के अलावा नि:शुल्क उपचार की सुविधा भी प्रदान की जा रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश तथा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जयप्रकाश नड्डा के मार्गदर्शन में यह योजना अब व्यापक जन आंदोलन का रूप ले चुकी है. 'निक्षय मित्र योजना' का प्रतिफल यह हुआ कि जन स्वास्थ्य एवं जन सरोकार से जुड़े इस अभियान में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहें हैं. आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति, कारोबारी, स्वयंसेवी संस्थाएं एवं अर्द्ध सरकारी संस्थाएं 'निक्षय मित्र' बनने के लिए आगे आ रहें है. टी.बी. उन्मूलन की दिशा में जन भागीदारी बढ़ने से इस योजना को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा हैं. इस योजना से केवल रोगियों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति ही नहीं होती बल्कि निक्षय मित्र और इलाज करा रहे व्यक्ति के बीच एक आत्मीय संबंध भी स्थापित होता है. समाज में परस्पर सहयोग और सहानुभूति की भावना को विकसित कर टीबी के कलंक को जड़ से ख़त्म करने में यह योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. कुल मिलाकर सेवा पखवाड़ा में "प्रधानमंत्री टी. बी. मुक्त भारत अभियान" सार्थक सिद्ध हो रहा है.

- अशोक बजाज



टीबी हारेगा - देश जीतेगा

बुधवार, 24 मई 2023

'सेंगोल' सम्मुख होगा राष्ट्रबोध

अमृतकाल में हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा 

  और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास




सेंगोल एक राजदंड है जो भारत का ऐतिहासिक धरोहर है. यह आजादी के जुड़ा एक प्रतीक है. 75 साल पूर्व 14 अगस्त 1947 को पं. जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल कोस्वीकार किया था। यह अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था. पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई 2023 को नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल को प्राप्त करेंगे जिसे नए संसद भवन में आसंदी के पास स्थापित किया जायेगा. आजादी के अमृतकाल में हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास है। इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित हो रही है. सेंगोल तमिल भाषा के शब्द ‘सेम्मई’ से निकला हुआ शब्द है। इसका अर्थ होता है
देश भर के चुने हुए प्रतिनिधि इस राजदंड सेंगोल के सम्मुख होकर जब कोई चर्चा करेंगे तब यह राजदंड उन्हें राष्ट्रबोध का आभाष कराएगा।
धर्म, सच्चाई और निष्ठा। किसी ज़माने में सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक हुआ करता था. इसे इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था अब यह नए संसद भवन में शोभायमान होगा. संसद देश की सबसे बड़ी पंचायत है. जहाँ इस विशाल भारत की जनता की समृद्धि व खुशहाली तथा राष्ट्रहित के मुद्दों पर नीतिगत फैसले लिए जाते है. देश भर के चुने हुए प्रतिनिधि इस राजदंड सेंगोल के सम्मुख होकर जब कोई चर्चा करेंगे तब यह राजदंड उन्हें राष्ट्रबोध का आभाष कराएगा, यानी 'सेंगोल' सम्मुख होगा राष्ट्रबोध. 

मंगलवार, 16 मई 2023

कोरोना के बाद अब टीबी के खिलाफ निर्णायक जंग

टीबी मुक्त भारत अभियान में 'निक्षय मित्र योजना' की प्रभावी भूमिका

टीबी एक गंभीर जानलेवा बीमारी है. यह अन्य संक्रामक बिमारियों से ज्यादा घातक भी है. बैक्टीरिया से होने वाली यह बीमारी हवा के जरिए एक इंसान से दूसरे इंसान के शरीर में फैलती है। यह आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होती है। परन्तु यह ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गला, हड्डी आदि शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वाली सूक्ष्म बूंदों से यह इन्फेक्शन फैलता है। सन 1882 में वैज्ञानिक रॉबर्ट कॉक ने टीबी रोग के कारक जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस की खोज करके टीबी रोग उन्मूलन की राह आसान की. आज पूरी दुनिया इस बीमारी से चिंतित है. जानकारों के अनुसार दुनिया में प्रतिदिन 5,200 लोगों की मौत टीबी से होती है जबकि अकेले भारत में हर दिन लगभग 1,400 लोग टीबी से मरते हैं। दुनिया के कुल टीबी मरीजों में 25 प्रतिशत मरीज अकेले भारत में हैं. इसीलिए भारत में टीबी उन्मूलन हेतु युद्ध स्तर पर प्रयास जारी है. सन 2030 तक विश्व को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक लक्ष्य से 5 साल पहले यानी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. स्वास्थ व परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार का पूरा अमला इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जी-जान से जुटा हैं। देशभर में टी.बी मरीजों की पहचान करके उनके उपचार की उचित व्यवस्था करना तथा उनका समुचित देखभाल करने का कार्य तीव्र गति से हो रहा है। उपचार अवधि में रोगियों को पोषण युक्त आहार नितांत आवश्यक है. शासन द्वारा डीबीटी के तहत मरीजों के खाते में प्रतिमाह 500 रु हस्तांतरित किये जा रहे हैं। इसके अलावा RNTCP के तहत सभी रोगियों को टीबी रोधी दवाओं सहित नि:शुल्क निदान और उपचार की सुविधा भी प्रदान की गई है।


शासन ने इस अभियान को जन आंदोलन बनाने की नीयत से एक अभिनव योजना प्रारंभ की है, इस योजना को ‘निक्षय मित्र’ योजना नाम दिया गया है. इस योजना के तहत जनभागीदारी सुनिश्चित की गई है यानी टीबी के खिलाफ चल रहे जंग में जनता जनार्दन को भी शामिल कर लिया गया है. ‘निक्षय मित्र योजना' के तहत कोई भी व्यक्ति, समूह या संस्थायें मरीजों को पोषण, उपचार व आजीविका में मददगार बनकर प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान में अपना योगदान दे सकते हैं। इन्हें निक्षय मित्र नाम दिया गया है. निक्षय मित्र को कम से कम एक साल और अधिकतम तीन वर्षों तक रोगियों को गोद लेना होता हैं। परन्तु इसमें टी.बी रोगियो की सहमति आवश्यक हैं। 'निक्षय मित्र योजना' का प्रतिफल यह हुआ कि जन स्वास्थ्य एवं जन सरोकार से जुड़े इस अभियान में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहें हैं। 'निक्षय मित्र' बनने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति, कारोबारी, स्वयंसेवी संस्थाएं एवं अर्द्ध सरकारी संस्थाएं आगे आ रही है. टी.बी. उन्मूलन की दिशा में जन भागीदारी बढ़ गई है तथा इस योजना को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा हैं। इस अभियान से जुड़ने के लिए आप निक्षय पोर्टल www.nikshay.in पर रजिस्टर कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए निक्षय हेल्पलाईन नंबर 1800-11-6666 पर भी सम्पर्क किया जा सकता हैं।


कोरोना महामारी के दौर में भारत ने जो महती भूमिका निभाई थी, अब टीबी उन्मूलन की दिशा में भी वही भूमिका दृष्टिगोचर हो रही हैं। देश के वैज्ञानिक भी इसके उन्मूलन के लिए नित नई नई दवाइयां व टीके की खोज कर रहे हैं। इस बिमारी को जड़ से खत्म करना हमारा सबका सामाजिक एवं राष्ट्रीय दायित्व है. निक्षय मित्र योजना सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई हैं। आइये हम सब निक्षय मित्र योजना में शामिल होकर 2025 तक टीबी मुक्त भारत के संकल्प को पूरा करें।
- अशोक बजाज

मंगलवार, 2 मई 2023

छत्तीसगढ़ के अनेक प्रसंग 'मन की बात' से चर्चित हुए और प्रेरणा बने

'मन की बात' के 100 वे एपिसोड पर विशेष 

पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ के खेत खलिहान से लेकर राजधानी के कचरा महोत्सव को सराहा 
 रेडियो और खादी को पीएम मोदी ने पुनः चलन में ला दिया 

रेडियो से प्रसारित 'मन की बात' कार्यक्रम के अब तक 100 एपिसोड पूरे हो चुके है. शतकीय एपिसोड का प्रसारण 30 अप्रेल 2023 को हुआ. मन की बात में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी सदैव सम-सामयिक एवं जन उपयोगी विषयों पर संवाद करते हुए नई ऊर्जा भर देतें  है. शायद ही कोई विषय ऐसा हो जो उनसे अछूता हो. यह 'मन की बात' का ही प्रभाव है कि स्वच्छता, कुपोषण मुक्ति एवं जल सरंक्षण जैसे अभियानों ने अब जन आंदोलन का स्वरुप ले लिया है. रेडियो और खादी को उन्होंने पुनः चलन में ला दिया. अपने संवाद में वे सभी वर्गों व क्षेत्रों को समेट लेते हैं. मजे की बात तो यह है कि मन की बात में जिस व्यक्ति, क्षेत्र या विषय की चर्चा होती है वह तुरंत दुनिया भर में ट्रेंड हो जाता है.
अशोक बजाज

मन की बात हो और छत्तीसगढ़ का जिक्र ना हो यह कैसे हो सकता है. श्री मोदी ने इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ का उल्लेख अनेकों बार किया. उन्होंने 26 जुलाई 2015 को 10 वे एपिसोड में राजनांदगाव जिले के केसला गांव का उल्लेख किया तो पूरे छत्तीसगढ़ वासियों का सीना चौड़ा हो गया. हर जगह केसला गांव के लोगों की सोच और समझदारी की चर्चा होने लगी. उन्होनें कहा था - "अभी एक समाचार मेरे कान पे आये थे, कभी-कभी ये छोटी-छोटी चीज़ें बहुत मेरे मन को आनंद देती हैं। इसलिए मैं आपसे शेयर कर रहा हूँ। छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव में केसला करके एक छोटा सा गाँव है। उस गाँव के लोगों ने पिछले कुछ महीनों से कोशिश करके टायलेट बनाने का अभियान चलाया और अब उस गाँव में किसी भी व्यक्ति को खुले में शौच नहीं जाना पड़ता है। ये तो उन्होंने किया लेकिन जब पूरा काम पूरा हुआ तो पूरे गाँव ने जैसे कोई बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता है वैसा उत्सव मनाया। गाँव ने ये सिद्धि प्राप्त की। केसला गाँव समस्त ने मिल कर के एक बहुत बड़ा आनंदोत्सव मनाया। समाज जीवन में मूल्य कैसे बदल रहे हैं, जन-मन कैसे बदल रहा है और देश का नागरिक देश को कैसे आगे ले जा रहा है इसके ये उत्तम उदाहरण मेरे सामने आ रहे हैं।"

इसी प्रकार उन्होंने 27 दिसंबर 2015 को 15 वी कड़ी में स्वामी विवेकानंद जी की जन्म-जयंती पर रायपुर में प्रस्तावित राष्ट्रीय युवा महोत्सव के संबंध में कहा था - "प्यारे नौजवान साथियो, 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जी की जन्म-जयंती है। मेरे जैसे इस देश के कोटि-कोटि लोग हैं जिनको स्वामी विवेकानंद जी से प्रेरणा मिलती रही है। 1995 से 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जयंती को एक राष्ट्रीय युवा उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष ये 12 जनवरी से 16 जनवरी तक छत्तीसगढ़ के रायपुर में होने वाला है और मुझे जानकारी मिली कि इस बार की उनकी जो थीम है, क्योंकि उनका ये इवेंट थीम बेस्ड होता है, थीम बहुत बढ़िया है ‘इण्डिया यूथ ऑन डेवलपमेंट स्किल एन्ड हार्मोनी’. मुझे बताया गया कि सभी राज्यों से, हिंदुस्तान के कोने-कोने से 10 हज़ार से ज़्यादा युवा इकट्ठे होने वाले हैं। एक लघु भारत का दृश्य वहाँ पैदा होने वाला है। युवा भारत का दृश्य पैदा होने वाला है। एक प्रकार से सपनों की बाढ़ नज़र आने वाली है। संकल्प का एहसास होने वाला है। इस यूथ फेस्टिवल के संबंध में क्या आप मुझे अपने सुझाव दे सकते हैं ? मैं ख़ास कर के युवा दोस्तों से आग्रह करता हूँ कि मेरी जो ‘नरेंद्र मोदी एप’ है उस पर आप डायरेक्टली मुझे अपने विचार भेजिए। मैं आपके मन को जानना-समझना चाहता हूँ और जो ये नेशनल यूथ फेस्टिवल में रिफ्लेक्ट हो, मैं सरकार में उसके लिए उचित सुझाव भी दूँगा, सूचनाएँ भी दूँगा। तो मैं इंतज़ार करूँगा दोस्तो, ‘नरेंद्र मोदी एप’ पर यूथ फेस्टिवल के संबंध में आपके विचार जानने के लिए।"

श्री मोदी ने 28 अगस्त 2016 को 23 वे एपिसोड में कबीरधाम जिले के स्कूली बच्चों से जुड़े एक प्रसंग का जिक्र बड़े ही आदर व सम्मान के साथ किया। अचरज भी हुआ क्योकिं जिस प्रसंग की जानकारी अच्छों अच्छों को नहीं थी लेकिन प्रधानमंत्री की पैनी निगाह ने खोज कर ली. यही तो चमत्कार है. उन्होंने कहा था- "मेरे प्यारे देशवासियों, कुछ बातें मुझे कभी-कभी बहुत छू जाती हैं और जिनको इसकी कल्पना आती हो, उन लोगों के प्रति मेरे मन में एक विशेष आदर भी होता है। 15 जुलाई को छत्तीसगढ़ के कबीरधाम ज़िले में करीब सत्रह-सौ से ज्यादा स्कूलों के सवा-लाख से ज़्यादा विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से अपने-अपने माता-पिता को चिट्ठी लिखी। किसी ने अंग्रेज़ी में लिख दिया, किसी ने हिंदी में लिखा, किसी ने छत्तीसगढ़ी में लिखा, उन्होंने अपने माँ-बाप से चिट्ठी लिख कर के कहा कि हमारे घर में टायलेट होना चाहिए। टायलेट बनाने की उन्होंने माँग की, कुछ बालकों ने तो ये भी लिख दिया कि इस साल मेरा जन्मदिन नहीं मनाओगे तो चलेगा, लेकिन टायलेट ज़रूर बनाओ। सात से सत्रह साल की उम्र के इन बच्चों ने इस काम को किया और इसका इतना प्रभाव हुआ, इतना इमोशनल इंपैक्ट हुआ कि चिट्ठी पाने के बाद जब दूसरे दिन स्कूल आया, तो माँ-बाप ने उसको एक चिट्ठी पकड़ा दी टीचर को देने के लिये और उसमें माँ-बाप ने वादा किया था कि फ़लानी तारीख तक वह टायलेट बनवा देंगे। जिसको ये कल्पना आई उनको भी अभिनन्दन, जिन्होंने ये प्रयास किया उन विद्यार्थियों को भी अभिनन्दन और उन माता-पिता को विशेष अभिनन्दन कि जिन्होंने अपने बच्चे की चिट्ठी को गंभीर ले करके टायलेट बनाने का काम करने का निर्णय कर लिया। यही तो है, जो हमें प्रेरणा देता है।"

देश और समाज में हो रहे सकारात्मक बदलाव में देश की नारी-शक्ति की भूमिका पर चर्चा करते हुए 28 जनवरी 2018 को 40 वे एपिसोड में उन्होंने ई-रिक्शा चलाने वाली दंतेवाड़ा की आदिवासी महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा कि "छत्तीसगढ़ की हमारी आदिवासी महिलाओं ने भी कमाल कर दिया है। उन्होंने एक नई मिसाल पेश की है। आदिवासी महिलाओं का जब ज़िक्र आता है तो सभी के मन में एक निश्चित तस्वीर उभर कर आती है। जिसमें जंगल होता है,पगडंडियां होती हैं, उन पर लकड़ियों का बोझ सिर पर उठाये चल रही महिलाएँ। लेकिन छत्तीसगढ़ की हमारी आदिवासी नारी, हमारी इस नारी-शक्ति ने देश के सामने एक नई तस्वीर बनाई है। छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा इलाक़ा, जो माओवाद-प्रभावित क्षेत्र है। हिंसा, अत्याचार, बम, बन्दूक, पिस्तौल - माओवादियों ने इसी का एक भयानक वातावरण पैदा किया हुआ है। ऐसे ख़तरनाक इलाक़े में आदिवासी महिलाएँ  ई-रिक्शा  चला कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। बहुत ही थोड़े कालखंड में कई सारी महिलाएँ इससे जुड़ गयी हैं। और इससे तीन लाभ हो रहे हैं, एक तरफ जहाँ स्वरोजगार ने उन्हें सशक्त बनाने का काम किया है वहीँ इससे माओवाद-प्रभावित इलाक़े की तस्वीर भी बदल रही है और इन सबके साथ इससे पर्यावरण-संरक्षण के काम को भी बल मिल रहा है।" 

रायपुर नगर निगम के कचरा महोत्सव के श्री मोदी भी मुरीद हुए थे, उन्होंने 41 वे एपिसोड में दिनांक 25 फरवरी 2018 को इसे स्वच्छता के लिए अनूठा प्रयास निरूपित करते हुए कहा था - " मेरे प्यारे देशवासियो, आज तक हम म्यूजिक फेस्टिवल, फ़ूड फेस्टिवल फिल्म फेस्टिवल  न जाने कितने-कितने प्रकार के फेस्टिवल  के बारे में सुनते आए हैं । लेकिन छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक अनूठा प्रयास करते हुए राज्य का पहला ‘कचरा महोत्सव’ आयोजित किया गया। रायपुर नगर निगम द्वारा आयोजित इस महोत्सव के पीछे जो उद्देश्य था वह था स्वच्छता को लेकर जागरूकता। शहर के वेस्ट का क्रिएटिवेली यूज करना और गार्बेज को रि-यूज करने के विभिन्न तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करना। इस महोत्सव के दौरान तरह-तरह की एक्टिविटी हुई जिसमें छात्रों से लेकर बड़ों तक, हर कोई शामिल हुआ। कचरे का उपयोग करके अलग-अलग तरह की कलाकृतियाँ बनाई गईं। वेस्ट मैनेजमेंट के सभी पहलूओं पर लोगों को शिक्षित करने के लिए वर्कशॉप आयोजित किये गए। स्वच्छता के थीम पर म्यूजिक परफॉर्मेंस हुई। आर्ट वर्क बनाए गए। रायपुर से प्रेरित होकर अन्य ज़िलों में भी अलग-अलग तरह के कचरा उत्सव हुए। हर किसी ने अपनी-अपनी तरफ से पहल करते हुए स्वच्छता को लेकर इंनोवेटिव आइडियाज शेयर किये, चर्चाएं की, कविता पाठ हुए। स्वच्छता को लेकर एक उत्सव-सा माहौल तैयार हो गया। खासकर स्कूली बच्चों ने जिस तरह बढ़-चढ़ करके भाग लिया, वह अद्भुत था। वेस्ट मैनेजमेंट और स्वच्छता के महत्व को जिस  अभिनव तरीक़े से इस महोत्सव में प्रदर्शित किया गया, इसके लिए रायपुर नगर निगम, पूरे छत्तीसगढ़ की जनता और वहां की सरकार और प्रशासन को मैं ढ़ेरों बधाइयाँ देता हूँ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बस्तर के बीजापुर में आई ई डी ब्लास्ट में शहीद सीआरपीएफ के स्निफर डॉग 'क्रेकर' की दिनांक 30 अगस्त 2020 को मन की बात के 68 वे एपिसोड में चर्चा करते हुए अपने मन के भाव को यूँ प्रकट किया - "एक डॉग बलराम ने 2006 में अमरनाथ यात्रा के रास्ते में, बड़ी मात्रा में, गोला-बारूद खोज निकाला था | 2002 में डॉग भावना ने आई ई डी खोजा था, आई ई डी निकालने के दौरान आंतकियों ने विस्फोट कर दिया और श्वान शहीद हो गये | दो-तीन वर्ष पहले छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सीआरपीएफ का स्निफर डॉग 'क्रेकर' भी आई ई डी ब्लास्ट में शहीद हो गया था | अगली बार, जब भी आपडॉग पालने की सोचें, आप जरुर इनमें से ही किसी इंडियन बीड के डॉग को घर लाएँ | आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है |"

कोरोना महामारी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता की जिस प्रकार हौसला अफजाई की वह किसी से छुपी नहीं है. उन्होंने कोरोना वारियर्स का हौसला भी डिगने नहीं दिया। मन की बात में दिनांक 25 अप्रेल 2021 को उन्होंने रायपुर के डॉक्टर बी.आर. अम्बेडकर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में कार्यरत एक नर्स भावना ध्रुव से सीधे बात की थी। मुश्किल दौर में इस मोदी मन्त्र से देश भर के कोरोना वारियर्स को एक प्रकार से संजीवनी मिल गई.  इसी प्रकार उन्होंने 24 अक्टूबर 2021 को छत्तीसगढ़ के देऊर गाँव की महिलाओं द्वारा गाँव के चौक-चौराहों, सड़कों और मंदिरों की सफाई कार्य का जिक्र करते हुए सराहना की थी. शतकीय कड़ी में उन्होंने पुनः इसका जिक्र किया। 91 वे एपिसोड में दिनांक 31 जुलाई 2022 को श्री मोदी ने नारायणपुर बस्तर के ‘मावली मेले’ का उल्लेख किया था. मन की बात के 97 वे तथा वर्ष 2023 के पहले एपिसोड में दिनांक 29 जनवरी को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष का जिक्र करते हुए कहा था - "अगर आपको छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जाने का मौका मिले तो यहाँ के 'मिलेटस कैफे' जरुर जाइएगा। कुछ ही महीने पहले शुरू हुए इस 'मिलेटस कैफे' में चीला, डोसा, मोमोस, पिज़्ज़ा और मंचूरियन जैसे आईटम खूब पॉपुलर हो रहे हैं।" इसी एपिसोड में उन्होंने बिलासपुर में आठ प्रकार के मिलेट्स का आटा और उसके व्यंजन बनाने के काम में लगे के एफपीओ की जानकारी दी   इसी एपिसोड में आगे उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय हमारी धरती, हमारी विरासत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। देश और समाज के विकास में उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। उनके लिए काम करने वाले व्यक्तित्वों का सम्मान, नई पीढ़ी को भी प्रेरित करेगा। इस वर्ष पद्म पुरस्कारों की गूँज उन इलाकों में भी सुनाई दे रही है, जो नक्सल प्रभावित हुआ करते थे। अपने प्रयासों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गुमराह युवकों को सही राह दिखाने वालों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इसके लिए कांकेर में लकड़ी पर नक्काशी करने वाले अजय कुमार मंडावी और गढ़चिरौली के प्रसिद्द झाडीपट्टी रंगभूमि से जुड़े परशुराम कोमाजी खुणे को भी ये सम्मान मिला है। इसी प्रकार नॉर्थ-ईस्ट में अपनी संस्कृति के संरक्षण में जुटे रामकुईवांगबे निउमे, बिक्रम बहादुर जमातिया और करमा वांगचु को भी सम्मानित किया गया है।

यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव करने वाली बात है कि 'मन की बात' के माध्यम से छत्तीसगढ़ के अनेक प्रसंग पूरे देश में चर्चित भी हुए और प्रेरणा भी बने.   

बुधवार, 26 अप्रैल 2023

स्वर्णिम भारत की शुरुवात : मन की बात

 अगर आप एक कदम चलते हैं, देश सवा सौ करोड़ कदम आगे चला जाता है - पीएम मोदी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता है. दुनिया की ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका उनके पास समाधान नहीं तथा दुनिया का ऐसा कोई विषय नहीं जिनका उन्हें ज्ञान नहीं। उन्होंने वर्ष 2014 में बड़े बदलाव के संकल्प के साथ प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और दृढ़ शक्ति के साथ पायदान दर पायदान आगे बढ़ रहे हैं. वे प्रयोग धर्मी भी है, नित नए प्रयोग करते रहते हैं. ऐसा ही अभिनव प्रयोग उन्होंने जनसंवाद के लिए 'रेडियो' को माध्यम बना कर किया और संचार क्रांति के इस युग में संचार के प्राचीन माध्यम में जान फूंक दी. श्री मोदी ने लगभग 9 साल पहले 3 अक्टूबर 2014 को रेडियो के माध्यम से जनसंवाद की शुरुवात की जिसे 'मन की बात' नाम दिया गया. प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को सुबह 11 बजे आकाशवाणी से प्रसारित इस कार्यक्रम के 99 एपिसोड पूरे हो चुके है तथा शतकीय एपिसोड का प्रसारण 30 अप्रेल को होगा. इस शतकीय एपिसोड लेकर पूरे देश में उत्सुकता बनी हुई है.  

मन की बात में प्रधानमंत्री श्री मोदी सदैव सम-सामयिक एवं जन उपयोगी विषयों पर संवाद करते हैं तथा लोगों का हौसला अफजाई करते है. इस कार्यक्रम के माध्यम से कभी वे देश के नौजवानों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं, कभी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते हैं, कभी विद्यार्थियों को परीक्षा के तनाव से मुक्त होने का गुर सिखाते हैं, कभी किसानों को नई तकनीक के साथ अन्न उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं. अब तक के एपिसोड में वे खेती-किसानी, नारी जागरण, स्वच्छता अभियान, प्राकृतिक आपदा, जलवायु परिवर्तन एवं जल संरक्षण व संवर्धन, स्वदेशी उत्पाद , कुपोषण, सिंगल यूज प्लास्टिक, फिट इंडिया, डिज़िटल इण्डिया, ड्रग्स व अन्य मादक पदार्थों  के दुष्परिणाम, नमामि गंगे, सड़क सुरक्षा, वेस्ट टू वेल्थ, अंगदान आदि अन्यान्य विषयों पर चर्चा कर चुके है. 'मन की बात' वे इतने प्रभावी ढंग से कहते है कि उनके द्वारा कही गई बातें लोगों के दिलों को छू जाती है. यही वजह है कि स्वच्छता, कुपोषण मुक्ति एवं जल सरंक्षण जैसे अभियानों ने अब जन आंदोलन का स्वरुप ले लिया है. 

प्रधानमंत्री श्री मोदी के ही शब्दों में जानिए उन्होंने प्रथम एपिसोड में क्या प्रेरणा दी थी - "मेरे देशवासियों, सवा सौ करोड़ देशवासियों के भीतर अपार शक्ति है, अपार सामर्थ्य है। हमें अपने आपको पहचानने की जरूरत है। हमारे भीतर की ताकत को पहचानने की जरूरत है और फिर जैसा स्वामी विवेकानंदजी ने कहा था उस आत्म-सम्मान को ले करके, अपनी सही पहचान को ले करके हम चल पड़ेंगे, तो विजयी होंगे और हमारा राष्ट्र भी विजयी होगा, सफल होगा। मुझे लगता है हमारे सवा सौ करोड़ देशवासी भी सामर्थ्यवान हैं, शक्तिवान हैं और हम भी बहुत विश्वास के साथ खड़े हो सकते हैं।" उन्होंने आगे कहा "मेरे देशवासियों, जब तक हम चलने का संकल्प नहीं करते, हम खुद खड़े नहीं होते, तब रास्ता दिखाने वाले भी नहीं मिलेंगे, हमें उंगली पकड़ कर चलाने वाले नहीं मिलेंगे। चलने की शुरूआत हमें करनी पड़ेगी और मुझे विश्वास है कि सवा सौ करोड़ जरूर चलने के लिए सामर्थ्यवान है, चलते रहेंगे।" ये सारा मेरा बातचीत करने का इरादा एक ही है। आओ, हम सब मिल करके अपनी भारत माता की सेवा करें। हम देश को नयी ऊंचाइयों पर ले जायें। हर कोई एक कदम चले, अगर आप एक कदम चलते हैं, देश सवा सौ करोड़ कदम आगे चला जाता है.

खादी की खपत और उत्पादन बढ़ाने में मन की बात के योगदान को कोई भूल नहीं पायेगा, श्री मोदी ने खादी के महत्व पर प्रकाश क्या डाला खादी के दिन फिर लौट आये उन्होंने पहले ही एपिसोड में खादी की चर्चा करते हुए कहा था "आपके परिवार में अनेक प्रकार के वस्त्र  होंगे, अनेक प्रकार के फैब्रिक्स होंगे, अनेक कंपनियों के प्रॉडक्ट होंगे, क्या उसमें एक खादी का नहीं हो सकता क्या ?  मैं अपको खादीधारी बनने के लिए नहीं कह रहा, आप पूर्ण खादीधारी होने का व्रत करें, ये भी नहीं कह रहा। मैं सिर्फ इतना कहता हूं कि कम से कम एक चीज भले ही वह हैंडकरचीफ,  भले घर में नहाने का तौलिया हो, भले हो सकता है बैडशीट हो, तकिए का कबर हो, पर्दा हो, कुछ तो भी हो, अगर परिवार में हर प्रकार के फैब्रिक्स का शौक है,  हर प्रकार के कपड़ों का शौक है, तो ये नियमित होना चाहिए और ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि अगर आप खादी का वस्त्र खरीदते हैं तो एक गरीब के घर में दीवाली का दीया जलता है." उनकी इस भावनात्मक अपील का असर ये हुआ कि देखते ही देखते बाजार में खादी के कपड़ों की मांग बढ़ गई. खादी की खपत बढ़ने का जिक्र उन्होने बाद के अनेक कड़ियों में किया और बताया कि "उत्तर प्रदेश में वाराणसी सेवापुर में सेवापुरी का खादी आश्रम 26 साल से बंद पड़ा था, लेकिन आज पुनर्जीवित हो गया. अनेक प्रकार की प्रवर्तियों को जोड़ा गया. अनेक लोगों को रोज़गार के नये अवसर पैदा किये. कश्मीर में पम्पोर में खादी एवं ग्रामोद्योग ने बंद पड़े अपने प्रशिक्षण केंद्र को फिर से शुरू किया और कश्मीर के पास तो इस क्षेत्र में देने के लिए बहुत कुछ है." 

मन की बात में श्री मोदी सदैव छात्रों को परीक्षा के तनाव से मुक्ति की सलाह देते हैं उन्होंने 5 वी कड़ी में कहा था कि "हम हमेशा अपनी प्रगति किसी और की तुलना में ही नापने के आदी होते हैं। हमारी पूरी शक्ति प्रतिस्पर्धा में खप जाती है। जीवन के बहुत क्षेत्र होंगे, जिनमें शायद प्रतिस्पर्धा जरूरी होगी, लेकिन स्वयं के विकास के लिए तो प्रतिस्पर्धा उतनी प्रेरणा नहीं देती है, जितनी कि खुद के साथ हर दिन स्पर्धा करते रहना। खुद के साथ ही स्पर्धा कीजिये, अच्छा करने की स्पर्धा, तेज गति से करने की स्पर्धा, और ज्यादा करने की स्पर्धा, और नयी ऊंचाईयों पर पहुँचने की स्पर्धा आप खुद से कीजिये, बीते हुए कल से आज ज्यादा अच्छा हो इस पर मन लगाइए और आप देखिये ये स्पर्धा की ताकत आपको इतना संतोष देगी, इतना आनंद देगी जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। हम लोग बड़े गर्व के साथ एथलीट सेरगेई बूबका का स्मरण करते हैं। इस एथलीट ने पैंतीस बार खुद का ही रिकॉर्ड तोड़ा था। वह खुद ही अपने एक्ज़ाम लेता था। खुद ही अपने आप को कसौटी पर कसता था और नए संकल्पों को सिद्ध करता था। आप भी उसी लिहाज से आगे बढें तो आप देखिये आपको प्रगति के रास्ते पर कोई नहीं रोक सकता है।" उन्होंने कार्यक्रम के 17 वे अपिसोड में विद्यार्थियों से सवाल किया कि 'प्रतिस्पर्धा क्यों ? अनुस्पर्धा क्यों नहीं। हम दूसरों से स्पर्धा करने में अपना समय क्यों बर्बाद करें। हम खुद से ही स्पर्धा क्यों न करें। हम अपने ही पहले के सारे रिकॉर्ड क्यों न तोड़ें। आप देखिये, आपको आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं पायेगा और अपने ही पिछले रिकॉर्ड को जब तोड़ोगे, तब आपको खुशी के लिए, संतोष के लिए किसी और से अपेक्षा भी नहीं रहेगी। एक भीतर से संतोष प्रकट होगा।’

श्री मोदी युवाओं के प्रेरणाश्रोत है, वे सदैव उन्हें विज्ञान व प्रौद्योगिकी की महत्ता को समझाते है. श्री मोदी ने मन की बात के 29 वे एपिसोड में नई पीढ़ी को नई तकनीक की ओर प्रेरित करते हुए कहा कि "जब नई  टेक्नालाजी  देखते हैं, कोई नई वैज्ञानिक सिद्धि होती है, तो हम लोगों को आनंद होता है। मानव जीवन की विकास यात्रा में जिज्ञासा ने बहुत अहम भूमिका निभाई है, और जो विशिष्ट बुद्धि प्रतिभा रखते हैं, वो जिज्ञासा को जिज्ञासा के रूप में ही रहने नहीं देते; वे उसके भीतर भी सवाल खड़े करते हैं; नई जिज्ञासायें खोजते हैं, नई जिज्ञासायें पैदा करते हैं और वही जिज्ञासा, नई खोज का कारण बन जाती है। वे तब तक चैन से बैठते नहीं, जब तक उसका उत्तर न मिले। और हज़ारों साल की मानव जीवन की विकास यात्रा का अगर हम अवलोकन करें, तो हम कह सकते हैं कि मानव जीवन की इस विकास यात्रा का कहीं पूर्ण-विराम नहीं है। पूर्ण-विराम असंभव है, ब्रह्मांड को, सृष्टि के नियमों को, मानव के मन को जानने का प्रयास निरंतर चलता रहता है। नया विज्ञान, नयी टेक्नालाजी उसी में से पैदा होती है और हर टेक्नालाजी, हर नया विज्ञान का रूप, एक नये युग को जन्म देता है।" 

श्री मोदी ने योग और मिलेट्स की महत्ता को दुनिया भर में प्रतिपादित किया इसकी उन्हें ख़ुशी भी है संतोष भी है. मन की बात में उन्होंने दोनों में समानता स्थापित करते हुए कहा कि "मेरे प्यारे देशवासियो, अगर मैं आपसे पूंछू कि योग दिवस और हमारे विभिन्न तरह के मोटे अनाजों मिलेट्स  में क्या कॉमन है तो आप सोचेंगे ये भी क्या तुलना हुई ? अगर मैं कहूँ कि दोनों में काफी कुछ कॉमन है तो आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल संयुक्त राष्ट्र ने इंटरनेशनल योगा डे और इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिलेट्स दोनों का ही निर्णय भारत के प्रस्ताव के बाद लिया है। दूसरी बात ये कि योग भी स्वास्थ्य से जुड़ा है और मिलेट्स भी सेहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तीसरी बात और महत्वपूर्ण है दोनों ही अभियानो में जन-भागीदारी की वजह से क्रांति आ रही है। जिस तरह लोगों ने व्यापक स्तर पर सक्रिय भागीदारी करके योग और फिटनेस को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है उसी तरह मिलेट्स को भी लोग बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं। लोग अब मिलेट्स  को अपने खानपान का हिस्सा बना रहे हैं। इस बदलाव का बहुत बड़ा प्रभाव भी दिख रहा है। इससे एक तरफ वो छोटे किसान बहुत उत्साहित हैं जो पारंपरिक रूप से  मिलेट्स  का उत्पादन करते थे। वो इस बात से बहुत खुश हैं कि दुनिया अब  मिलेट्स  का महत्व समझने लगी है। दूसरी तरफ एफपीओ और इन्टरप्रेनियर्स ने मिलेट्स को बाजार तक पहुँचाने और उसे लोगों तक उपलब्ध कराने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।"

पीएम के "मन की बात" से देश में नई सोच और नई दिशा विकसित हो रही है, देश की तरुणाई सकारात्मक सोच के साथ रचनात्मक कार्यों में लग गई है जो एक बहुत बड़े सामाजिक बदलाव का सूचक है. समूचा विश्व भारत के इस बदलाव से अचंभित है.
अशोक बजाज
 पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत रायपुर