" चौपाल भारती में आपका स्वागत है" ..... जल है तो कल है "....." नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब " ..... - अशोक बजाज
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बुधवार, 26 अप्रैल 2023

स्वर्णिम भारत की शुरुवात : मन की बात

 अगर आप एक कदम चलते हैं, देश सवा सौ करोड़ कदम आगे चला जाता है - पीएम मोदी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता है. दुनिया की ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका उनके पास समाधान नहीं तथा दुनिया का ऐसा कोई विषय नहीं जिनका उन्हें ज्ञान नहीं। उन्होंने वर्ष 2014 में बड़े बदलाव के संकल्प के साथ प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और दृढ़ शक्ति के साथ पायदान दर पायदान आगे बढ़ रहे हैं. वे प्रयोग धर्मी भी है, नित नए प्रयोग करते रहते हैं. ऐसा ही अभिनव प्रयोग उन्होंने जनसंवाद के लिए 'रेडियो' को माध्यम बना कर किया और संचार क्रांति के इस युग में संचार के प्राचीन माध्यम में जान फूंक दी. श्री मोदी ने लगभग 9 साल पहले 3 अक्टूबर 2014 को रेडियो के माध्यम से जनसंवाद की शुरुवात की जिसे 'मन की बात' नाम दिया गया. प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को सुबह 11 बजे आकाशवाणी से प्रसारित इस कार्यक्रम के 99 एपिसोड पूरे हो चुके है तथा शतकीय एपिसोड का प्रसारण 30 अप्रेल को होगा. इस शतकीय एपिसोड लेकर पूरे देश में उत्सुकता बनी हुई है.  

मन की बात में प्रधानमंत्री श्री मोदी सदैव सम-सामयिक एवं जन उपयोगी विषयों पर संवाद करते हैं तथा लोगों का हौसला अफजाई करते है. इस कार्यक्रम के माध्यम से कभी वे देश के नौजवानों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं, कभी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते हैं, कभी विद्यार्थियों को परीक्षा के तनाव से मुक्त होने का गुर सिखाते हैं, कभी किसानों को नई तकनीक के साथ अन्न उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं. अब तक के एपिसोड में वे खेती-किसानी, नारी जागरण, स्वच्छता अभियान, प्राकृतिक आपदा, जलवायु परिवर्तन एवं जल संरक्षण व संवर्धन, स्वदेशी उत्पाद , कुपोषण, सिंगल यूज प्लास्टिक, फिट इंडिया, डिज़िटल इण्डिया, ड्रग्स व अन्य मादक पदार्थों  के दुष्परिणाम, नमामि गंगे, सड़क सुरक्षा, वेस्ट टू वेल्थ, अंगदान आदि अन्यान्य विषयों पर चर्चा कर चुके है. 'मन की बात' वे इतने प्रभावी ढंग से कहते है कि उनके द्वारा कही गई बातें लोगों के दिलों को छू जाती है. यही वजह है कि स्वच्छता, कुपोषण मुक्ति एवं जल सरंक्षण जैसे अभियानों ने अब जन आंदोलन का स्वरुप ले लिया है. 

प्रधानमंत्री श्री मोदी के ही शब्दों में जानिए उन्होंने प्रथम एपिसोड में क्या प्रेरणा दी थी - "मेरे देशवासियों, सवा सौ करोड़ देशवासियों के भीतर अपार शक्ति है, अपार सामर्थ्य है। हमें अपने आपको पहचानने की जरूरत है। हमारे भीतर की ताकत को पहचानने की जरूरत है और फिर जैसा स्वामी विवेकानंदजी ने कहा था उस आत्म-सम्मान को ले करके, अपनी सही पहचान को ले करके हम चल पड़ेंगे, तो विजयी होंगे और हमारा राष्ट्र भी विजयी होगा, सफल होगा। मुझे लगता है हमारे सवा सौ करोड़ देशवासी भी सामर्थ्यवान हैं, शक्तिवान हैं और हम भी बहुत विश्वास के साथ खड़े हो सकते हैं।" उन्होंने आगे कहा "मेरे देशवासियों, जब तक हम चलने का संकल्प नहीं करते, हम खुद खड़े नहीं होते, तब रास्ता दिखाने वाले भी नहीं मिलेंगे, हमें उंगली पकड़ कर चलाने वाले नहीं मिलेंगे। चलने की शुरूआत हमें करनी पड़ेगी और मुझे विश्वास है कि सवा सौ करोड़ जरूर चलने के लिए सामर्थ्यवान है, चलते रहेंगे।" ये सारा मेरा बातचीत करने का इरादा एक ही है। आओ, हम सब मिल करके अपनी भारत माता की सेवा करें। हम देश को नयी ऊंचाइयों पर ले जायें। हर कोई एक कदम चले, अगर आप एक कदम चलते हैं, देश सवा सौ करोड़ कदम आगे चला जाता है.

खादी की खपत और उत्पादन बढ़ाने में मन की बात के योगदान को कोई भूल नहीं पायेगा, श्री मोदी ने खादी के महत्व पर प्रकाश क्या डाला खादी के दिन फिर लौट आये उन्होंने पहले ही एपिसोड में खादी की चर्चा करते हुए कहा था "आपके परिवार में अनेक प्रकार के वस्त्र  होंगे, अनेक प्रकार के फैब्रिक्स होंगे, अनेक कंपनियों के प्रॉडक्ट होंगे, क्या उसमें एक खादी का नहीं हो सकता क्या ?  मैं अपको खादीधारी बनने के लिए नहीं कह रहा, आप पूर्ण खादीधारी होने का व्रत करें, ये भी नहीं कह रहा। मैं सिर्फ इतना कहता हूं कि कम से कम एक चीज भले ही वह हैंडकरचीफ,  भले घर में नहाने का तौलिया हो, भले हो सकता है बैडशीट हो, तकिए का कबर हो, पर्दा हो, कुछ तो भी हो, अगर परिवार में हर प्रकार के फैब्रिक्स का शौक है,  हर प्रकार के कपड़ों का शौक है, तो ये नियमित होना चाहिए और ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि अगर आप खादी का वस्त्र खरीदते हैं तो एक गरीब के घर में दीवाली का दीया जलता है." उनकी इस भावनात्मक अपील का असर ये हुआ कि देखते ही देखते बाजार में खादी के कपड़ों की मांग बढ़ गई. खादी की खपत बढ़ने का जिक्र उन्होने बाद के अनेक कड़ियों में किया और बताया कि "उत्तर प्रदेश में वाराणसी सेवापुर में सेवापुरी का खादी आश्रम 26 साल से बंद पड़ा था, लेकिन आज पुनर्जीवित हो गया. अनेक प्रकार की प्रवर्तियों को जोड़ा गया. अनेक लोगों को रोज़गार के नये अवसर पैदा किये. कश्मीर में पम्पोर में खादी एवं ग्रामोद्योग ने बंद पड़े अपने प्रशिक्षण केंद्र को फिर से शुरू किया और कश्मीर के पास तो इस क्षेत्र में देने के लिए बहुत कुछ है." 

मन की बात में श्री मोदी सदैव छात्रों को परीक्षा के तनाव से मुक्ति की सलाह देते हैं उन्होंने 5 वी कड़ी में कहा था कि "हम हमेशा अपनी प्रगति किसी और की तुलना में ही नापने के आदी होते हैं। हमारी पूरी शक्ति प्रतिस्पर्धा में खप जाती है। जीवन के बहुत क्षेत्र होंगे, जिनमें शायद प्रतिस्पर्धा जरूरी होगी, लेकिन स्वयं के विकास के लिए तो प्रतिस्पर्धा उतनी प्रेरणा नहीं देती है, जितनी कि खुद के साथ हर दिन स्पर्धा करते रहना। खुद के साथ ही स्पर्धा कीजिये, अच्छा करने की स्पर्धा, तेज गति से करने की स्पर्धा, और ज्यादा करने की स्पर्धा, और नयी ऊंचाईयों पर पहुँचने की स्पर्धा आप खुद से कीजिये, बीते हुए कल से आज ज्यादा अच्छा हो इस पर मन लगाइए और आप देखिये ये स्पर्धा की ताकत आपको इतना संतोष देगी, इतना आनंद देगी जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। हम लोग बड़े गर्व के साथ एथलीट सेरगेई बूबका का स्मरण करते हैं। इस एथलीट ने पैंतीस बार खुद का ही रिकॉर्ड तोड़ा था। वह खुद ही अपने एक्ज़ाम लेता था। खुद ही अपने आप को कसौटी पर कसता था और नए संकल्पों को सिद्ध करता था। आप भी उसी लिहाज से आगे बढें तो आप देखिये आपको प्रगति के रास्ते पर कोई नहीं रोक सकता है।" उन्होंने कार्यक्रम के 17 वे अपिसोड में विद्यार्थियों से सवाल किया कि 'प्रतिस्पर्धा क्यों ? अनुस्पर्धा क्यों नहीं। हम दूसरों से स्पर्धा करने में अपना समय क्यों बर्बाद करें। हम खुद से ही स्पर्धा क्यों न करें। हम अपने ही पहले के सारे रिकॉर्ड क्यों न तोड़ें। आप देखिये, आपको आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं पायेगा और अपने ही पिछले रिकॉर्ड को जब तोड़ोगे, तब आपको खुशी के लिए, संतोष के लिए किसी और से अपेक्षा भी नहीं रहेगी। एक भीतर से संतोष प्रकट होगा।’

श्री मोदी युवाओं के प्रेरणाश्रोत है, वे सदैव उन्हें विज्ञान व प्रौद्योगिकी की महत्ता को समझाते है. श्री मोदी ने मन की बात के 29 वे एपिसोड में नई पीढ़ी को नई तकनीक की ओर प्रेरित करते हुए कहा कि "जब नई  टेक्नालाजी  देखते हैं, कोई नई वैज्ञानिक सिद्धि होती है, तो हम लोगों को आनंद होता है। मानव जीवन की विकास यात्रा में जिज्ञासा ने बहुत अहम भूमिका निभाई है, और जो विशिष्ट बुद्धि प्रतिभा रखते हैं, वो जिज्ञासा को जिज्ञासा के रूप में ही रहने नहीं देते; वे उसके भीतर भी सवाल खड़े करते हैं; नई जिज्ञासायें खोजते हैं, नई जिज्ञासायें पैदा करते हैं और वही जिज्ञासा, नई खोज का कारण बन जाती है। वे तब तक चैन से बैठते नहीं, जब तक उसका उत्तर न मिले। और हज़ारों साल की मानव जीवन की विकास यात्रा का अगर हम अवलोकन करें, तो हम कह सकते हैं कि मानव जीवन की इस विकास यात्रा का कहीं पूर्ण-विराम नहीं है। पूर्ण-विराम असंभव है, ब्रह्मांड को, सृष्टि के नियमों को, मानव के मन को जानने का प्रयास निरंतर चलता रहता है। नया विज्ञान, नयी टेक्नालाजी उसी में से पैदा होती है और हर टेक्नालाजी, हर नया विज्ञान का रूप, एक नये युग को जन्म देता है।" 

श्री मोदी ने योग और मिलेट्स की महत्ता को दुनिया भर में प्रतिपादित किया इसकी उन्हें ख़ुशी भी है संतोष भी है. मन की बात में उन्होंने दोनों में समानता स्थापित करते हुए कहा कि "मेरे प्यारे देशवासियो, अगर मैं आपसे पूंछू कि योग दिवस और हमारे विभिन्न तरह के मोटे अनाजों मिलेट्स  में क्या कॉमन है तो आप सोचेंगे ये भी क्या तुलना हुई ? अगर मैं कहूँ कि दोनों में काफी कुछ कॉमन है तो आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल संयुक्त राष्ट्र ने इंटरनेशनल योगा डे और इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिलेट्स दोनों का ही निर्णय भारत के प्रस्ताव के बाद लिया है। दूसरी बात ये कि योग भी स्वास्थ्य से जुड़ा है और मिलेट्स भी सेहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तीसरी बात और महत्वपूर्ण है दोनों ही अभियानो में जन-भागीदारी की वजह से क्रांति आ रही है। जिस तरह लोगों ने व्यापक स्तर पर सक्रिय भागीदारी करके योग और फिटनेस को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है उसी तरह मिलेट्स को भी लोग बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं। लोग अब मिलेट्स  को अपने खानपान का हिस्सा बना रहे हैं। इस बदलाव का बहुत बड़ा प्रभाव भी दिख रहा है। इससे एक तरफ वो छोटे किसान बहुत उत्साहित हैं जो पारंपरिक रूप से  मिलेट्स  का उत्पादन करते थे। वो इस बात से बहुत खुश हैं कि दुनिया अब  मिलेट्स  का महत्व समझने लगी है। दूसरी तरफ एफपीओ और इन्टरप्रेनियर्स ने मिलेट्स को बाजार तक पहुँचाने और उसे लोगों तक उपलब्ध कराने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।"

पीएम के "मन की बात" से देश में नई सोच और नई दिशा विकसित हो रही है, देश की तरुणाई सकारात्मक सोच के साथ रचनात्मक कार्यों में लग गई है जो एक बहुत बड़े सामाजिक बदलाव का सूचक है. समूचा विश्व भारत के इस बदलाव से अचंभित है.
अशोक बजाज
 पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत रायपुर

बुधवार, 30 मार्च 2016

राष्ट्रीय सहकारी सेमीनार नई दिल्ली

विगत 20-21 मार्च को देश की राजधानी नईदिल्ली में राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक्स महासंघ National Federation of State Cooperative banks (NAFSCOB) , भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ National Coperative union of India (NCUI) एवं  राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (Nabard) के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया गया. सेमीनार का विषय था - "National Conference on Recent Trends in Short Term Coperative Credit Structure : Towards strengthening".

इस सेमीनार में देश भर के राज्य सहकारी बैंकों, जिला सहकारी बैंकों एवं चुनिन्दा पैक्स (pacs) के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. नेफ्सकाब के उपाध्यक्ष तथा छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष के नाते मैंने इस सेमीनार में अपने विचार रखे.
फसल बीमा के साथ-साथ फसल ऋण का भी बीमा हो -  अशोक बजाज 

कृषि ऋण की वितरण प्रणाली को सरल, पारदर्शी व व्यापक बनाने समितियों को ऑनलाईन करने की मांग 
  

रायपुर। अपेक्स बैंक के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज दिल्ली में गत रविवार व सोमवार को आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार में शामिल हुए । सेमीनार का आयोजन नेफ्सकाॅब, एन.सी.यू.आई. और नाबार्ड के तत्वाधान में किया गया था । कार्यक्रम में बोलते हुए अध्यक्ष श्री बजाज ने कहा कि किसानों को दिये जाने वाले फसल ऋण का विस्तार कैसे किया जाए इस पर गहन मंथन की आवश्यकता है । इसके अलावा ऋण के जोखिम को कम करने के लिए भी कदम उठाने की आवश्यकता है । इसके लिए सुझाव देते हुए अपेक्स बैंक के अध्यक्ष अशोक बजाज ने कहा कि ऐसी नीति तैयार किये जाने की आवश्यकता है जिसमें फसल बीमा के साथ-साथ फसल ऋण का भी बीमा हो, उन्होने कहा कि इस तरह की पाॅलिसी तैयार करने में यह व्यवस्था हो कि कम से कम भार किसान पर पड़े । इसके अलावा फसल बीमा का अधिक से अधिक लाभ कैसे किसानों को दिया जाए इस पर भी श्री बजाज ने सेमीनार में अपने सुझाव रखे । सहकारी बैकों के माध्यम से जो ऋण किसानों को दिया जाता है उसमें औसतन 80 प्रतिशत ही वसूली होती है । अगर ऋण का भी बीमा होगा तो शत-प्रतिशत ऋण की वसूली सुनिश्चित हो जाएगी तथा सहकारी समितियां घाटे से उबर जायेंगीं । मगर यहाॅं पर यह ध्यान देने की जरूरत है कि किसानों के उपर नई योजना का अधिक भार न पड़े । नेफ्सकाॅब, सहकारी संघ, एन.सी.यू.आई. और नाबार्ड के राष्ट्रीय सेमीनार में बोलते हुए अपेक्स बैंक रायपुर के अध्यक्ष अशोक बजाज ने कहा कि देश में कृषि ऋण के मामले में सहकारी संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है, अतः इन संस्थाओं की मजबूती बेहद आवश्यक है । उन्होंने सहकारी समितियों के कामकाज को ऑनलाइन करने हेतु नाबार्ड से पर्याप्त वित्तीय व्यवस्था करने की मांग की ताकि कृषि ऋण की वितरण प्रणाली को सरल, पारदर्शी व व्यापक बनाया जा सके। श्री बजाज  ने छत्तीसगढ़ की भांति अन्य प्रदेशों में भी किसानों को शून्य प्रतिशत पर ऋण वितरित किये जाने की वकालत की । कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री मोहन भाई कुन्दारिया, अंतराष्ट्रीय को-आपरेटिव बैंकिंग एसोसियेशन के अध्यक्ष श्री जीन लुईश बंसेल, नेफ्सकाॅब के अध्यक्ष श्री दिलीप संघानी, राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष श्री चंद्रपाल सिंह यादव, भारत सरकार के कृषि विभाग के संयुक्त संचालक श्री आशीष भुटानी, नेफ्सकाॅब के प्रबंध संचालक श्री बी.सुब्रहम्यणम्, एन.सी.यू.आई. के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री दिनेश कुमार, जिला सहकारी बैंक रायपुर के अध्यक्ष योगेश चंद्राकर, दुर्ग के अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी विनोद गुप्ताउपस्थित थे । 

राष्ट्रीय सेमीनार की कुछ तस्वीरें






















बुधवार, 3 फ़रवरी 2016

गणतंत्र दिवस 2016 की झलकियाँ

गणतंत्र दिवस 2016 की झलकियाँ  
गणतंत्र दिवस 2016 : चौपाल रायपुर में ध्वजारोहण.

 गणतंत्र दिवस 2016 : छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक रायपुर में ध्वजारोहण.

गणतंत्र दिवस 2016 : छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक रायपुर में ध्वजारोहण.

गणतंत्र दिवस 2016 : छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक रायपुर.

गणतंत्र दिवस 2016 : छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक रायपुर.
गणतंत्र दिवस 2016 : छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक रायपुर.

गणतंत्र दिवस 2016 : छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक रायपुर.

गणतंत्र दिवस 2016 : सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में ध्वजारोहण.

गणतंत्र दिवस 2016 : सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर.

गणतंत्र दिवस 2016 : सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर.
गणतंत्र दिवस 2016 : सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में बाल मित्र पत्रिका का विमोचन.
गणतंत्र दिवस 2016 : सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में बाल मित्र पत्रिका का विमोचन.

गणतंत्र दिवस 2016 : शासकीय बजरंग हायर सेकेंडरी स्कूल अभनपुर में ध्वजारोहण.

गणतंत्र दिवस 2016 : शासकीय बजरंग हायर सेकेंडरी स्कूल अभनपुर.
गणतंत्र दिवस 2016 : शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल अभनपुर में ध्वजारोहण.
गणतंत्र दिवस 2016 : शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल अभनपुर.
गणतंत्र दिवस 2016 : शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल अभनपुर. 

गणतंत्र दिवस 2016 : अभनपुर नगर के मुख्य समारोह में ध्वजारोहण.

गणतंत्र दिवस 2016 : अभनपुर नगर के मुख्य समारोह में ध्वजारोहण.

गणतंत्र दिवस 2016 : अभनपुर नगर के मुख्य समारोह में ध्वजारोहण.
                                                                                 
गणतंत्र दिवस 2016 : अभनपुर नगर का मुख्य समारोह.

गणतंत्र दिवस 2016 : उच्च. मध्य. शाला टेकारी (जुलुम).

गणतंत्र दिवस 2016 : उच्च. मध्य. शाला टेकारी (जुलुम).
गणतंत्र दिवस 2016 : उच्च. मध्य. शाला टेकारी (जुलुम).

                                                                           
गणतंत्र दिवस 2016 : ग्राम टोकरो (अभनपुर) .

                            गणतंत्र दिवस 2016 : ग्राम उपरवारा (नया रायपुर) .