" चौपाल भारती में आपका स्वागत है" ..... जल है तो कल है "....." नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब " ..... - अशोक बजाज
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शुक्रवार, 22 अगस्त 2014

तरंगों को किसी देश की सीमा से नहीं बांधा जा सकता

श्रोता दिवस पर अखिल भारतीय श्रोता सम्मलेन व प्रदर्शनी का आयोजन
(LISTENERS DAY , 20 August)


सम्मलेन को संबोधित करते हुए 
रेडियो श्रोता दिवस के अवसर पर भाटापारा में 20 अगस्त को अखिल भारतीय श्रोता सम्मलेन एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. यह सम्मलेन भाटापारा के अग्रसेन भवन में हुआ. जिसमें देश भर के लगभग 300 श्रोताओं ने भाग लिया. कार्यक्रम में पुराने फिल्मों के एलबम, प्राचीन वाद्य यंत्रो, देश भर में पाए जाने वाले पत्थरों, पुराने सिक्कों एवं पिछले कार्यक्रमों के तस्वीरों की नयनाभिराम प्रदर्शनी भी लगाई गई. गीत- संगीत का भी रोचक कार्यक्रम हुआ तथा पुराने फ़िल्मी गीतों के संग्रह की सी.डी. का विमोचन किया गया. कार्यक्रम के दौरान रायपुर से पधारी श्रीमती आशा जैन ने सर्वाईकल कैंसर एवं आहार विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रतिभागियों को प्रदान की.   

आयोजक मंडल ने छत्तीसगढ़ लिसनर्स क्लब के संयोजक के नाते मुझे मुख्य अतिथि बनाया था, जबकि अध्यक्षता विधायक श्री शिवरतन शर्मा ने की. कार्यक्रम में विविध भारती मुंबई के एनाउन्सर श्री कमल शर्मा एवं श्री राजेंद्र त्रिपाठी के अलावा आकाशवाणी बिलासपुर तथा अम्बीकापुर के एनाउन्सर व कम्पीयर विशेष रूप से उपस्थित थे. 

मुख्य अतिथि के नाते अंत में मुझे अंत में बोलने का अवसर दिया गया. मैनें श्रोता बंधुओं एवं बहनों से कहा कि संचार क्रांति के इस युग में रेडियो की महत्ता आज भी कायम है विशेषकर भारत जैसे विकासशील देश में रेडियो आज भी प्रासंगिक है. मैनें विभिन्न देशों के रेडियो स्टेशनों द्वारा चलाये जा रहे हिन्दी सर्विस का जिक्र करते हुए कहा कि लोग भले ही अपने अपने देश की सीमाओं से बंधें हो लेकिन तरंगों को किसी देश की सीमा से नहीं बांधा जा सकता. आज दुनिया में संचार के अनेक साधन विकसित हो चुके है परन्तु उसमें फूहड़ता व अश्लीलता ज्यादा होती है, यही वजह है कि आज समाज में नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है. टेलीविजन के कार्यक्रमों को हम भले ही परिवार सहित बैठकर नहीं देख सकते हो लेकिन रेडियों के कार्यक्रमों को हम परिवार सहित बैठकर सुन सकते है. यहाँ पर भाटापारा के श्रोताओं की प्रशंसा करना आवश्यक था क्योंकि यहाँ के श्रोताओं की सजगता, सक्रियता व जागरुकता के कारण इस शहर की कीर्ति चारों तरफ फैली हुई है. 

उल्लेखनीय तथ्य यह है कि छत्तीसगढ़ से प्रारंभ हुई श्रोता दिवस मनाने की परंपरा अब पूरे देश में शुरु हो चुकी है. लिसनर्स-डे मनाने की परंपरा की शुरुवात वर्ष 2008 में छत्तीसगढ़ के श्रोताओं ने की थी तथा देश भर के श्रोताओ से 20 अगस्त को यह पर्व मनाने की अपील की थी. फलस्वरूप यह पर्व अब देश के अधिकांश हिस्सों में मनाया जा रहा है. ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से श्रोताओं में जाग्रति आ रही है. 

सम्मलेन में आकाशवाणी के एनाउन्सर श्रीमती संज्ञा टंडन, श्री हरिश्चन्द्र वाद्यकार, श्री महेंद्र साहू, लौकेश गुप्त, श्री आर. चिपरे के अलावा रेडियो के वरिष्ठ श्रोता श्री परसराम साहू, श्री हरमिंदर सिंह चावला, श्री बचकामल, श्री रतन जैन, श्री कमलकांत गुप्ता, श्री सुरेश सरवैय्या, श्री विनोद वंडलकर, श्री कमल थवानी, श्री सोहन जोशी, श्री प्रदीप जैन, श्री खरारी राम देवांगन, श्री सुनील मिश्रा, श्री माधव मिरी, श्री रेखचंद मल, श्री आर.सी.कामड़े, श्री ईश्वरीसाहू, श्री दिनेश वर्मा, श्री धरमदास वाधवानी, श्री पी.एस. वर्मा, श्री दुर्गाप्रसाद साहू, श्री प्रदीप चन्द्र, श्री भागवत वर्मा, श्री संतोष वैष्णव, श्री मोतीलाल यादव, श्री मोहन देवांगन, श्री अनिल ताम्रकार कटनी, श्री अखिलेश तिवारी जबलपुर, श्री महेंद्र सिंह कुरुक्षेत्र हरियाणा, श्री प्रकाश हिन्गोले नागपुर, श्री हनुमान दास साहू यवतमाल, श्री रामजी दुबे पश्चिम बंगाल, श्री चंद्रेश गौहर इंदौर, श्री  बलवंत वर्मा प्रमिलागंज मध्यप्रदेश प्रमुख रूप से उपस्थित थे. 

                               सम्मलेन की झलकियाँ 

संबोधन 

सी.डी. का विमोचन 

दीप प्रज्ज्वलन 

स्वागत 

पत्थरों की प्रदर्शनी 

फोटो व प्राचीन वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी

प्राचीन वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी

फोटो प्रदर्शनी

पुराने फिल्मों के पोस्टर 

श्रोता गण 

श्रोता गण

श्रोता गण

श्रोता गण

श्रोता गण

श्रोता गण

          कार्यक्रम से संबंधित प्रकाशित समाचारों की कतरनें                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                        

दैनिक भास्कर रायपुर, 22.08.2014

दैनिक देशबंधु रायपुर, 22.08.2014

दैनिक हरिभूमि रायपुर, 22.08.2014

दैनिक नईदुनिया रायपुर, 22.08.2014

दैनिक तरुण छत्तीसगढ़ रायपुर, 22.08.2014

दैनिक नवभारत रायपुर, 21.08.2014

आलेख / दैनिक नवभारत रायपुर, 21.08.2014

मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

मिशन 2014 (2)

कार्यकर्ता सम्मेलनों के नज़ारे . . .
अभनपुर विधानसभा चुनाव क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की बैठक दिनांक 2 अप्रेल 2014
आरंग में कार्यकर्ता सम्मलेन, दिनांक 3.4.2014

आरंग / बताइए मैंने ऐसा क्या कहा कि हाथ उठा कर सभी ताली बजाने लगे ?



धरसींवा में कार्यकर्ता सम्मलेन, दिनांक 3.4.2014

मिशन 2014 (1)

 रायपुर लोकसभा के चुनाव 24 अप्रेल 14 को संपन्न हुए. मतदान शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष हुआ. चुनाव की तैयारी में सारे कार्यकर्ता भीषण गर्मी में जीजान से जुटे थे. चुनाव अभियान की शुरुवात 26 मार्च 2014 को धार्मिक नगरी चंपारण से हुई. लगभग एक माह तक चले इस चुनाव अभियान की तस्वीरें प्रस्तुत है - 

चंपारण में वृहत बैठक दिनांक 26.03.2014

                                                                      

रविवार, 13 अप्रैल 2014

आई बैसाखी

बैसाखी नए साल के आगमन से जुड़ा है और तो इसका धार्मिक महत्व भी है। दसवें सिख गुरु गुरु गोबिन्द सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना इसी दिन की थी। बैसाखी दरअसल एक लोक पर्व है। फसल तैयार होने के उल्लास में यह पर्व और भी खास बन जाता है। सर्दियों के खत्म होने और गर्मी की शुरुआत के साथ ही लोगों का मन उल्लास से भर जाता है। ऐसे में इसे बदलते मौसम के जश्न के तौर पर भी देखा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, गुरु गोबिन्द सिंह ने वैशाख माह की षष्ठी तिथि को खालसा पंथ की स्थापना की थी। सूर्य मेष राशि में अक्सर 13 या 14 अप्रैल को प्रवेश करता है, बैसाखी इन्हीं दोनों दिनों में से किसी एक दिन मनाई जाती है। सिखों के पहले गुरु बाबा नानक देव ने वैशाख माह को आध्यात्मिक साधना की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण बताया है।

बैसाखी का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी खास स्थान है। रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में हजारों लोग इकट्ठा हुए थे। जनरल डायर ने निहत्थी भीड़ पर गोलियां बरसाई थीं, जिसमें हजारों लोग शहीद हुए थे। (नभाटा) 

बैसाखी पर्व की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ !
                                              - अशोक बजाज 

रविवार, 16 मार्च 2014

होली" की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

सभी ब्लॉगर बहनों व भाइयों

 को 

रंग पर्व

"होली"

की 

हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

                                     आपका - अशोक बजाज


शनिवार, 26 जनवरी 2013

गणतंत्र दिवस 2013 के कार्यक्रमों की झलकियाँ

रस्तुत है गणतंत्र दिवस 2013 के कार्यक्रमों की झलकियाँ -  
गणतंत्र दिवस 2013 : चौपाल में ध्वजारोहण.

गणतंत्र दिवस 2013 : राज्य भंडारगृह निगम के प्रांतीय मुख्यालय में ध्वजारोहण.
गणतंत्र दिवस 2013 : राज्य भंडारगृह निगम के प्रांतीय मुख्यालय में ध्वजारोहण.

गणतंत्र दिवस 2013 : सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में बालमित्र पत्रिका का विमोचन.

गणतंत्र दिवस 2013 : सरस्वती शिशु मंदिर अभनपुर में ध्वजारोहण.

गणतंत्र दिवस 2013 :शा.कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला अभनपुर.

गणतंत्र दिवस 2013 :शा. बजरंग दास उच्चतर माध्यमिक शाला अभनपुर में ध्वजारोहण.

गणतंत्र दिवस 2013 : श्री बजरंग दास शा. उच्चतर माध्यमिक शाला अभनपुर में गणतंत्र दिवस समारोह.

गणतंत्र दिवस 2013 : अभनपुर के मुख्य संयुक्त समारोह में ध्वजारोहण.
गणतंत्र दिवस 2013 : नगर पंचायत अभनपुर के तत्वाधान में मुख्य समारोह में परेड की सलामी.
गणतंत्र दिवस 2013 : नगर पंचायत अभनपुर द्वारा आयोजित नगर स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह में स्कूली बच्चों की रंगारंग प्रस्तुति.
गणतंत्र दिवस 2013 : नगर पंचायत अभनपुर द्वारा आयोजित नगर स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह .


                              गणतंत्र दिवस की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं !

रविवार, 7 अक्टूबर 2012

मेरी दुनियाँ है माँ तेरे आँचल में . . .

स्व . श्रीमती सावित्री देवी बजाज

माँ यानी मेरी प्यारी बीजी 04.10.2012 को गौ-लोक सिधार गई.एक दिन पहले तक वह एकदम सामान्य थी, दूर दूर तक ऐसा कोई संकेत नहीं था वह इतनी जल्दी हमसे बिछड़ जायेंगीं. 3 अक्तूबर को पिताजी का श्राद्ध था उन्होंने पूरे रीती-रिवाज के साथ श्राद्ध किया, रात को भी सोने के पहले सबसे बात करके सोयी. सुबह रक्तचाप कम होने तथा शुगर बढ़ने के कारण उन्हें लगभग 8 बजे अस्पताल में भर्ती किया गया . लगभग 10 बजे डाक्टरों ने जानकारी दी कि उनके हार्ट में समस्या है, पंपिंग करके हार्ट चालू किया गया है . युद्ध स्तर पर रायपुर के रामकृष्ण केयर हास्पिटल के आई.सी.सी.यू. में उनका उपचार चल रहा था. लगभग 12 बजे डाक्टरों की टीम ने हथियार डाल दिए और ह्रदय विदारक सूचना दी. मेरे व मेरे परिवार के लिए यह सूचना किसी वज्रपात से कम नहीं थी. वह हम सबको रोता बिलखता छोड़ कर इस संसार से बिदा हो चुकी थी. लेकिन कहाँ गई कोई नहीं जानता. किसी ने कहा भी है दुनिया से जाने वाले जाने चले जाते है कहाँ ..... !   उनकी अभी उम्र मुश्किल से 80 साल की थी. पूरे परिवार को उनका बड़ा सहारा था. आज वह हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी यादें हमें सदैव रुलाती रहेंगी.  
   
वृद्धाश्रम की तस्वीर 
इस घटना के ठीक एक माह पूर्व मेरे जन्मदिन पर वह मुझे वृद्धाश्रम ले गई थी जहाँ उन्होंने वृद्ध-जनों को कपड़े बांटें तथा उनका मुंह मीठा कराया था. वह दीन-हीन व जरुरत मंद लोगों की सदा सुध लेती थी तथा यथा संभव उनकी मदद करती थी. उनका जीवन कठिन तप साधना और त्याग का जीवंत उदाहरण है. पूरा जीवन गाँव में व्यतीत करने के कारण गाँव व ग्रामीण संस्कृति से विशेष लगाव था. जीवन भर उनका ममत्व और वात्सल्य हमें मिला. उनके आशीर्वाद और प्रेरणादायी वचनों ने सफल जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त किया है .   आज तक हम जिन ऊंचाईयों तक पहुँच पाए है उसमें उनका भरपूर योगदान है . उनके इस योगदान रूपी ऋण से उऋण होना शायद इस जनम में मुमकिन नहीं.